नई शुरुआत:इतिहास को पुनर्जीवित करने की परंपरा में वैशाख कृष्ण षष्ठी पर वेताल का पूजन किया

प्राचीन इतिहास को समेटे शहर में अनेक ऐसे स्थान हैं जो इसके पुरातन वैभव की कहानियां कहते हैं। इनमें ऋणमुक्तेश्वर मार्ग पर स्थित वेताल मंदिर भी है। यह मंदिर सम्राट विक्रमादित्य कालीन माना जाता है। वैशाख कृष्ण षष्टि पर वेताल का पूजन कर विक्रम-वेताल की कहानी को पुनर्स्थापित करने की परंपरा का निर्वाह रविवार को किया गया। विक्रम और वेताल की कहानियां देश की प्राचीन कथा परंपरा का बहुप्रचलित हिस्सा है। विक्रम और वेताल के बीच संवाद को लेकर इन कहानियों के माध्यम से नैतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक प्रतिमानों को स्थापित किया गया है।

इन कहानियों की समय-समय पर विद्वानों, प्रवचनकारों ने व्याख्या कर इनके अर्थ को जनमानस को समझाने का प्रयास किया। रोचक तरीके से गुंथी गईं कहानियां इतनी लोकप्रिय हैं कि वे 2100 साल बाद भी जनमानस के बीच प्रचलित हैं। सम्राट विक्रमादित्य के काल को लेकर जब कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं थे तब पुराने शहर के जानेमाने ज्योतिषविद् पं. श्यामनारायण व्यास ने शहर के पुराने वैभव को फिर से पुनर्जीवित करने का मुश्किल काम हाथ में लिया। इस कड़ी में उन्होंने ऋणमुक्तेश्वर मार्ग पर स्थित वेताल मंदिर को जनमानस के बीच प्रचारित करने के लिए वैशाख कृष्ण षष्टि पर वेताल मंदिर पर पूजन की परंपरा शुरू की।

वे अपने पीपलीनाका स्थित गुमान देव मंदिर से वेताल मंदिर तक चल समारोह निकालते और वहां संगोष्ठि आयोजित करते जिसमें उज्जैन की प्राचीन मान्यताओं पर विद्वतजन अपना पक्ष रखते थे। इससे उज्जैन के पुराने इतिहास और प्राचीन स्थानों की खोज, उनके महत्व को पुन स्थापित करने का सिलसिला शुरू हुआ। इसी क्रम में विक्रमादित्य शोध पीठ का भी महत्वपूर्ण योगदान मिला। कोरोना संक्रमण में पं. व्यास का देहावसान इस मायने में ज्यादा अपूर्णीय लगती है। लेकिन सुकून की बात यह है कि पं. व्यास के इस काम को उनके पुत्र चंदन व्यास से संभाल लिया है। उनका यह संकल्प कि पिता ने जो काम हाथ में लिए थे, उन्हें वे पूरा करने का प्रयत्न करेंगे।

लॉकडाउन में जुलूस व संगोष्ठी नहीं हो सकी

स्व. पं. व्यास द्वारा स्थापित अनुष्ठान मंडपम ज्योतिष अकादमी ने वैशाख कृष्ण षष्ठी वेताल षष्ठी के रूप में मनाई। रविवार को वेताल षष्ठी पर सम्राट राजा विक्रमादित्य एवं वेताल का पूजन किया गया। संस्था के पं. चंदन व्यास ने बताया कि संस्था के अध्यक्ष रहे पिताजी पंचांगकर्ता पं श्यामनारायण व्यास हर साल पिपलीनाका स्थित बाबा गुमानदेव हनुमान मंदिर से चल समारोह वेताल मंदिर तक निकालते थे। वहां वेताल संगोष्ठी होती थी।

इस साल लॉकडाउन के कारण प्रतीकात्मक रूप से राजा विक्रमादित्य और वेताल के स्थान पर जाकर पूजन अर्चन कर विश्व मंगल की कामना की गई। चंदन व्यास ने बताया जो काम साल भर पिताजी करते थे, वह यथावत जारी रहेंगे और इन को बेहतर करने का प्रयास करेंगे। आयोजनों के माध्यम से लोगो को नगर की प्राचीन विभूतियों को जानने एवं इन स्थानों के दर्शन करने का अवसर मिलता है। यह लुप्त होती विभूतियों को पुनर्जीवित करने का प्रयास है।

Leave a Comment